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छोटे बच्चों के पैरों में रातों में दर्द लक्षण कारण और समाधान

छोटे बच्चों के पैरों में दर्द क्यों होता है? ग्रोइंग पेन क्या है Growing Pain Kya Hai

छोटे बच्चों के पैरों में रातों में दर्द : मेरा 10 साल का लड़का प्रीतिश हर रात को सोने से पहले अपने पैरों में दर्द होने की शिकायत करता है। इस समस्या के कारण वह रातों को जोर-जोर से पैर पटकता है और कभी कभी रोने भी लगता है। रातों में पैर दर्द की वजह से वह अपनी मम्मी से पैर की मालिश करने को कहता है। मालिश करने से उसे आराम मिलता है और वह सो जाता है। क्या रातों में पैर दर्द की समस्या आपके बच्चों को भी है अगर हां तो आइए जानते हैं कि रातों में पैर दर्द की समस्या का कारण लक्षण और उपचार क्या है? छोटे बच्चों के पैरों में रातों में दर्द लक्षण कारण और समाधान।

छोटे बच्चों के पैरों में दर्द क्यों होता है?

छोटे बच्चों के पैरों में दर्द का कारण ग्रोइंग पेन होता है। ग्रोइंग पेन क्या है यह जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें! ग्रोइंग पेन ( Growing Pain Problem in Hindi ) ग्रोइंग पेन के कारण अक्सर ही बच्चों के माता-पिता चिंतित और कंफ्यूज रहते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि बच्चे दिनभर ज्यादा उछल कूद करते हैं, देर तक साइकिल चलाते हैं, बार-बार आइसक्रीम और फास्ट फूड के लिए दुकान जाते हैं और खेलते रहते हैं जिसके कारण यह दर्द हो रहा है। लेकिन उनका ऐसा सोचना बिल्कुल ही निराधार है दरअसल रातों में छोटे बच्चों के पैरों में दर्द का असल कारण तेज गति से हो रहा हड्डियों का विकास और वृद्धि है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ग्रोइंग पेन कहा जाता है।

ग्रोइंग पेन क्या है Growing Pain Kya Hai

छोटे बच्चे अक्सर रातों में सोते वक्त पैरों और घुटनों में दर्द होने की शिकायत करते रहते हैं। बच्चों के घुटनों और पैरों की पिंडलियों में परेशान करने वाला दर्द होता है। यह दर्द अधिकांशतः बच्चों को होता ही है। किसी को कम तो किसी को ज्यादा होता है। जबकि किसी किसी बच्चे को दर्द महसूस भी नहीं होता है। दर्द होने के साथ ही बच्चे को चलने फिरने में कठिनाई महसूस होती है। कभी-कभी पैरों में सूजन भी हो जाता है। इस स्थिति में होने वाले दर्द को ग्रोइंग पेन कहा जाता है। यह दर्द सिर्फ बच्चों को ही होता है। अपितु कभी कभी ऐसा भी देखने में आया है कि बड़े लोग भी ग्रोइंग पेन महसूस करते हैं। अधिकांशतः यह दर्द 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे को होता है। इस उम्र में बढ़ते बच्चों की पैरों की पिंडलियों में दर्द होने लगता है । यह दर्द कभी तो हल्का होता है लेकिन कभी तेज भी होता है। कई बार बच्चे दर्द को सहन नहीं कर पाते हैं और दर्द के कारण रोने लगते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता बहुत परेशान हो जाते हैं। यदि आपको ग्रोइंग पेन के बारे में जानकारी नहीं तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं!

बच्चों के पैर में दर्द Growing Pain के लक्षण Baccho Ke Pair Dard Growing Pain Ke Lakshan

बच्चों का पैर दर्द अलग अलग बच्चे को अलग-अलग प्रकार से महसूस हो सकता है। ग्रोईंग पेन के लक्षण सामान्यतः यह है कि बच्चों के दोनों पैरों में ऐंठन के साथ पैरों की मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। कुछ बच्चों को इस समस्या में तेज दर्द हो सकता है, जबकि कई बच्चों को किसी भी प्रकार का दर्द महसूस नहीं होता है। अधिकांशतः बच्चों को हर दिन पैर दर्द की समस्या नहीं रहती है। बच्चों में पैर का दर्द हमेशा नहीं रहता है बल्कि यह आता-जाता रहता है। बच्चे को यह परेशानी एक महीने अथवा एक वर्ष तक परेशान कर सकती है। बच्चों के पैर दर्द के कुछ आम लक्षणों को आगे विस्तारपूर्वक बताया जा रहा है।

जांघों, घुटनों के पीछे तथा पिंडलियों के आगे, बच्चों के दोनों पैरों की पिड़लियों में दर्द का अनुभव होता है।
दोपहर के बाद या शाम अथवा रात के वक्त दर्द होना शुरू होता है। 
बच्चे पैर में तेज दर्द के कारण रातों को जाग जाते है।
बच्चों के पैरों का दर्द सामान्य रूप से 15 से 25 मिनटों तक रहता है कभी कभी यह दर्द बच्चें को एक घंटे तक भी परेशान कर सकता है।

वैसे बच्चों के पैर दर्द का कोई विशेष समय नहीं होता है। किसी किसी बच्चों को यह सप्ताह में कुछ दिनों नहीं भी हो सकता है। जबकि कुछ बच्चों को तो यह दर्द प्रतिदिन होता है।

बच्चों के पैर में होने वाला दर्द Growing Pain उनकी हड्डियों तथा जोड़ों को प्रभावित नहीं करता है परंतु इससे बच्चे की मांसपेशियों में दर्द होता है।

जिन बच्चों को भी ग्रोइंग पेन (Growing Pain) होता है उनमें दर्द के प्रति संवेदनशीलता अधिक बढ़ जाती है। साथ ही इस बीमारी में बच्चे को सिर में दर्द तथा पेट दर्द होने की शिकायत हो सकती है। बच्चों के पैरों में अधिक दर्द होने से चलने फिरने और दौड़ने में कोई कठिनाई नहीं होती है और इसके कारण ना ही बच्चा बीमारी पड़ता है। परंतु कुछ मामलों में दर्द होने पर आपको डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।

पैर दर्द में बच्चों को डॉक्टर के पास कब ले जाएं

यदि निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

बच्चे को तेज़ बुखार आना तथा भूख ना लगना।
अगर दौड़ने, चलने एवं खेलने में बच्चे को कठिनाई होती है।
अगर बच्चे लंगड़ाकर चलते हैं।
बच्चे को पैरों में सूजन लालिमा होना।
बच्चे को दिन में भी दर्द का‌ अनुभव होना।

बच्चों में पैर दर्द के कारण Baccho Mein Pair Dard Ke Karan

बच्चों के शारीरिक वृद्धि एवं विकास के दरम्यान होने वाले पैर दर्द के मुख्य कारणों का पता लगाना कठिन कार्य होता है। परंतु निम्नलिखित कारण से बच्चों को रात में पैर में दर्द की बीमारी हो सकती है।

जो बच्चे अधिक उछल कूद और दौड़ते, कूदते रहते हैं उनके पैरों में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसमें हल्का हल्का दर्द का अनुभव होने से बच्चे का ध्यान उस ओर तब तक नहीं जाता है जब तक कि यह दर्द स्थायी रूप से नहीं होने लगे।

विश्व भर में किए गए अनेकों चिकित्सकीय अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि समान्य जीवन में जो बच्चे दिनभर खेलते रहते हैं उनके पैरों में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

कम उम्र में बच्चों की मांसपेशियों तथा हड्डियों से संबंधित तंत्र दिन भर खेलने कूदने के दबाव को झेल नहीं पाता है।

बच्चों को पैर में होने वाला दर्द रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम Restless Legs Syndrome से संबंधित हो सकता है।

बच्चों का गलत प्रकार से खड़े होना, चलना अथवा बैठना इन कारणों से भी शरीर को सहारा देने वाली मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है और इसके कारण से दर्द होता है। कुछ बच्चों में पैर के तलवे बिल्कुल सपाट होते हैं। इस प्रकार के बच्चों को दूसरे बच्चों की अपेक्षा दर्द का अनुभव ज्यादा होता है।

बच्चों के शारीरिक विकास की प्रक्रिया शुरू होने अथवा खेल में अधिक सक्रियता बच्चों के तेजी से विकास के साथ इस समस्या का किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं होता है।

पैरों में दर्द होने के कारण कभी भी बच्चों को खेलने से रोकना या दूर नहीं करना चाहिए। बच्चे का शारीरिक विकास पूर्ण होते ही इस तरह का दर्द अपने आप ठीक हो जाता है।

बच्चों के पैरों में दर्द का परीक्षण Baccho Ke Pair Dard Ka Parikshan

डॉक्टर बिना किसी विशेष प्रकार के टेस्ट कराए ही बच्चों के पैर में दर्द की पहचान कर सकते हैं। फिर भी कुछ मामलों में डॉक्टर दूसरी समस्याओं की पहचान करने के उद्देश्य से बच्चों के पैरों का एक्स रे एवं ब्लड टेस्ट कर सकते हैं। बच्चों के पैरों में होने वाला दर्द सिर्फ ग्रोइंग पेन ही नहीं होता बल्कि किसी दूसरे कारणों से भी बच्चे के पैरों में दर्द का अनुभव हो सकता है। किसी दूसरे कारण से बच्चे के पैरों में होने वाले दर्द में मसाज या मालिश करने से भी आराम नहीं मिलता है। जबकि ग्रोइंन पेन में बच्चों को हल्की फुल्की मालिश से ही राहत मिल जाती है।


ग्रोइंग पेन से बचने के उपाय

अगर ग्रोइंग पेन के लक्षण समान्य हैं तो इससे बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं।

बच्चों के पैरों में रातों को होने वाले दर्द को ठीक करने के लिए डॉक्टर इलाज में कई प्रकार की प्रक्रियाओं को अपना सकते हैं। इस बीमारी में होने वाले तेज़ दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं जैसे कि आईब्रुफेन तथा एसिटामिनोफेन की गोलियां दे सकते हैं। इस रोग में बच्चों तथा किशोरों को एस्पिरिन दवा नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि कई अध्ययनों से पता चला है कि बच्चों में एस्पिरिन का इस्तेमाल रेये सिंड्रोम से जुड़ा हो सकता है। रेये सिंड्रोम एक गंभीर बीमारी है जिसके कारण से मस्तिष्क और लीवर में सूजन आ जाती है।

बच्चों को आईब्रुफिन एवं एसिटामिनोफेन कितनी मात्राएं में देनी चाहिए इसके के लिए आप अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं। बच्चों को हल्का दर्द होने पर किसी भी प्रकार की दवा नहीं दिया जाना चाहिए हल्के दर्द को कम करने के लिए कई घरेलु उपायों की सहायता ली जा सकती हैं।

पैरों में दर्द के लिए घरेलु उपायों की सहायता ली जा सकती हैं।

बच्चों के पैर में रातों में होने वाले दर्द के लिए किसी भी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। बच्चों के पैरों में होने वाले दर्द की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग घरेलू उपायों को अपनाया जा सकता है। नीचे दिए गए कुछ घरेलु उपायों को अपनाकर बच्चों के पैरों के दर्द को आसानी से कम किया जा सकता है।

बच्चों के पैरों में दर्द का घरेलू उपचार Baccho Ke Pair Mein Dard Ka Gharelu Upchar

दर्द वाले पैर की मालिश करें:
मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन मालिश करने से ठीक हो जाती है। इस दौरान पैर के दर्द वाले हिस्से की मसाज या मालिश के लिए आप हल्के गर्म तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
 
गर्म पट्टियों का इस्तेमाल करें:
बच्चे के पैर दर्द को आराम पहुंचाने के लिए आप दर्द वाले हिस्से पर गर्म पट्टी को बांधे। इससे बच्चे के पैर का दर्द कम होगा और उसको कुछ समय के बाद आराम आना शुरू हो जाएगा।

मांसपेशियों में खिंचाव:
बच्चे के पैर की मांसपेशियों में सुबह के समय खिंचाव करने से रात के समय होने वाला पैर दर्द कम होता है। बच्चे के पैरों के दर्द को कम करने के लिए की जानें वाली एक्सरसाइज के बारे में आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
 
खट्टे फल और जूस:
माता पिता को अपने बच्चे को खेलने से पहले खट्टे फल जैसे संतरे आदि, का जूस देना चाहिए। इससे बच्चे को विटामिन सी मिलता है और मांसपेशियों में होने वाला दर्द कम होने लगता है।
 
बच्चे का खेलना बंद ना करें:
बच्चे को विश्वास दिलाएं कि उसका दर्द जल्द ही ठीक हो जाएगा। साथ ही उसको खेलने, चलने और दौड़ने से मना ना करें।

मालिश करें

पुराने जमाने में अक्सर दादी नानी अपने छोटे बच्चों को देसी तेल से मालिश करती थी। मालिश करने से बच्चों का शारीरिक विकास होता है और वह ग्रोइंग पेन जैसी समस्याओं से बचे रहते हैं
 

विटामिन-सी भरपूर चीज़ें खिलाएं

खट्टे फल और सब्जियों में विटामिस-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इन फलों के नियमित सेवन से दर्द से राहत मिलती है। विटामिन सी से भरपूर फलों के सेवन के साथ साथ बच्चों को नियमित रूप से व्यायाम करने की सलाह देनी चाहिए।


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