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बिहार के अधिकतर गाँव में झोला छाप डॉक्टरों का बोलबाला

स्वास्थ्य का औसत स्तर गिरता जाय, तो राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई महत्व नहीं

सुप्रभातम एवम बुधवार आपके लिए स्वास्थ्यकर हो सादर सपरिवार!!
बिहार के अधिकतर गाँव में झोला छाप डॉक्टरों का बोलबाला है। डॉक्टर हॉस्पिटल में रोस्टर के अनुसार सप्ताह में 2 या 3 दिन ही जाते हैं, 12 बजे के बाद पहुंचते हैं और 4 बजे शाम में निकल जाते हैं, जबकि बाकी दिन वे अपने प्राइवेट प्रैक्टिस में सबेरे 8-9 बजे से रात के 7-9 बजे तक व्यस्त रहते हैं। BHU, लखनऊ, दिल्ली, कलकत्ता, पुणे, चेन्नई और मुम्बई के अस्पताल बिहार के मरीजों से भरे रहते हैं।

दरभंगा में आँख के एक डॉक्टर

दरभंगा में आँख के एक डॉक्टर जैन सर होते थे। वे आँख को जांचने समय पूरा ब्लड, स्टूल और यूरिन की जांच भी सभी मरीजों से करवाते थे। पटना में ऐसे कई डॉक्टर हैं जिनकी एक बार की सामान्य देखने की फीस है- ₹3000- ₹4000! पटना में कई डॉक्टर हैं जिनको यदि हमें दिखाना हो तो 2 महीने बाद नम्बर मिलेगा। एक डॉक्टर तो पटना में ऐसे भी हैं जिनका नम्बर सप्ताह में केवल सोमवार को लगता है, एवम इसके लिए लोग शनिवार से ही लाइन में लगे रहते हैं, जबकि नम्बर सोमवार को 10 बजे के बाद मिलता है। दो- तीन डॉक्टर तो पटना में ऐसे भी हैं जो एक साथ अपने चैंबर में 7-8 मरीज को घुसा लेते हैं, कोई प्राइवेसी नहीं और मजा तो तब आता है जब मोहन की पर्ची पर सोहन की कॉमेंट लिख दी जाती है।

अजब-गजब डॉक्टर और पिसते हुए लाचार मजबूर मरीज

अजब-गजब डॉक्टर और पिसते हुए लाचार मजबूर मरीज !! पटना में कोई विश्वास के काबिल कॉरपोरेट हॉस्पिटल भी नहीं है- दो हैं भी तो वे अपना विश्वास खो बैठे हैं। अभी दिल्ली की नई सरकार आने के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व सकारात्मक सुधार हुए हैं। जैसे- ठेहुना बदलाव कॉस्ट, हार्ट स्टेंट की कॉस्ट, आंख के लेंस का कॉस्ट, आयुष्मान कार्ड, बहुत से मेडिकल कॉलेजों का खोला जाना आदि-आदि!

चिकित्सा पेशे की नैतिकताओं को बहाल करना

स्वास्थ्य सुरक्षा से मतलब होना चाहिए कि चिकित्सा पेशे की नैतिकताओं को बहाल करना। यह है स्वास्थ्य सेवाओं का सबके लिए सहज रूप से सुलभ होना, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं की मनमानी कीमत न वसूली जाय, गैर जरूरी जाँच के लिए मरीजों को न कहा जाय और देश में ऐसा माहौल बने की आवाम के स्वास्थ्य को राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय समझा जाय। एक स्वस्थ राष्ट्र को ही सुरक्षित माना जा सकता है। आद, अगर देश में स्वास्थ्य का औसत स्तर गिरता जाय, तो राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाता है, साथ में यशवन्त का सादर अभिवादन आपको सपरिवार!!

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