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पतंजलि में रसौली का इलाज Treatment of Rasoli in Patanjali in Hindi

पतंजलि में रसौली का इलाज Treatment of Rasoli in Patanjali

रसौली की बीमारी के बारे में हमने कई बार लोगों को बातें करते हुए सुना है। अखबारों और दूसरे पत्र-पत्रिकाओं में रसौली से बचने के तरीके के बारे में सुर्खियां लिखी हुई देखी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रसौली की बीमारी क्या है और इसके लक्षण क्या है? रसौली की बीमारी क्यों होती है? और पतंजलि में रसौली की बीमारी की दवा क्या है? आइए इस लेख में इन सभी सवालों का जवाब ढूंढने का प्रयास करते हैं।

रसौली की बीमारी क्या है? Rasoli Kya Hai

रसौली Rasoli अथवा फाइब्रॉड्स एक प्रकार की गांठ होती है जो महिलाओं के यूट्रस अथवा बच्चेदानी में फाइब्रस टिश्यूज से बनती है। आमतौर पर महिलाओं का यूट्रस तीन भागों में विभाजित होता है तथा यह यूट्रस के किसी भी भाग में हो सकती है। इसका आकार भी अलग-अलग हो सकता है। रसौली सामान्यतः स्टोन्स से भिन्न होती है और यह सिर्फ महिलाओं के यौनांग से जुड़ी समस्या है। रसौली महिला के गर्भाशय में विकसित होती है और यह एक प्रकार का कैंसर रहित ट्यूमर होता है। रसौली को अंग्रेजी में फाइब्रॉयड कहा जाता है। रसौली में बहुत अधिक रक्तस्राव तथा तेज दर्द की समस्या होती है।


रसौली के कारण होने वाली समस्याएं

रसौली की बीमारी के कारण महिलाओं को गर्भधारण में समस्या हो सकती है और पीरियड्स के समय हेवी ब्लीडिंग अथवा बहुत तेज दर्द हो सकता है। कई बार तो महिलाओं को बार-बार मिसकैरेज ( गर्भपात ) की समस्या भी झेलनी पड़ती है। इसलिए यह आवश्यक है कि महिलाएं अपने यौन स्वास्थ्य से जुड़ी इन सभी समस्याओं के प्रति सजग रहें। विशेष रूप से पीरियड्स के समय होनेवाली ब्लीडिंग तथा अनियमितता को हल्के में नहीं लेना चाहिए


रसौली क्यों होती है ?

रसौली की बीमारी हॉर्मोन असंतुलन ( हॉर्मोनल डिसबैलंस ) के कारण होता है परन्तु स्वास्थ्य संबंधी दूसरी समस्याएं भी रसौली का कारण बन सकता है। हॉर्मोन्स का संतुलन बिगड़ने के कारण हर महिलाओं के साथ भिन्न भिन्न स्थिति हो सकती है। कभी रहन सहन और खान-पान के तरीके के कारण तो कभी किसी मेडिसिन के साइडइफेक्ट के कारण भी। परंतु रसौली की समस्या अनुवांशिक ( हेरिडिटी ) के कारण से अधिक होती है।

रसौली के लक्षण

रसौली की बीमारी के कारण मासिक धर्म के समय क्लोटिंग बहुत अधिक बढ़ सकती है। अर्थात ब्लीडिंग के साथ रक्त के थक्के आना।

पेट के निचले भागों में बहुत तेज दर्द होना तथा ब्लीडिंग ज्यादा होना।

पेट के निचले भागों में भारीपन महसूस होता है और इंटरकोर्स के वक्त दर्द भी होता है।

बार-बार यूरिन पास हो रहा हो तथा वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज होता हो।

हर समय कमजोरी रहना, पैरों में तेज दर्द होना तथा कब्ज की शिकायत रहना।

पतंजलि की कुछ दवाएं रसौली के इलाज के लिए उपलब्ध हैं आज इस लेख में जानेंगे कि रसौली के लिए पतंजलि की कौन-कौन सी दवाएं सबसे ज्यादा उपयोगी हैं:

पतंजलि की रसौली की दवा

पतंजलि गिलोय घनवटी
पतंजलि दिव्य सिस्टोग्रिट
दिव्य वृद्धिवाधिका वटी
दिव्य कचनार गुग्गुल
दिव्य प्रवाल पिष्टी
दिव्य शिला सिंदूर
दिव्य ताम्र भस्म
पतंजलि आंवला जूस

पतंजलि की रसौली की दवा

रसौली की बीमारी को ठीक करने वाली पतंजलि की दवाओं के बारे में नीचे विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है:

पतंजलि गिलोय घनवटी
पतंजलि दिव्य सिस्टोग्रिट
दिव्य वृद्धिवाधिका वटी
दिव्य कचनार गुग्गुल
दिव्य प्रवाल पिष्टी
दिव्य शिला सिंदूर
दिव्य ताम्र भस्म
पतंजलि आंवला जूस
पतंजलि गिलोय घनवटी

रसौली की बीमारी को ठीक करने के लिए पतंजलि की दवा में गिलोय मुख्य सामग्री है। इसमें एडाप्टोजेनिक, एंटीस्पास्मोडिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीपायरेटिक तथा हाइपोग्लाइसेमिक, एंटीऑक्सीडेंट, इम्युनोपोटेंटियेटिंगऔर हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं। ये सब शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही रक्त को भी शुद्ध करते हैं। गिलोय सभी तीन दोष वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में भी सहायता करता है।

यह रक्त वाहिकाओं में एकत्रित हुए टॉक्सिन तथा यूरिक एसिड को यूरिनरी सिस्टम के द्वारा सफ़ाई भी करता है। गिलोय घनवटी का उपयोग सूजन पैदा करने वाली सभी ऑटोइम्यून बीमारियों के उपचार में भी किया जाता है। कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी के अल्सरेटिव और टॉक्सिक प्रभाव को दूर करने में भी गिलोय घनवटी प्रभावशाली सिद्ध हुई है। इस प्रकार से यह रसौली की समस्या में सहायक हो सकती है।


पतंजलि दिव्य सिस्टोग्रिट

दिव्य सिस्टोग्रिट में कचनार, हल्दी, शिला सिंदूर पाउडर, मुक्ताशुक्ति पिष्टी, मोती पिष्टी, ताम्र भस्म, गम अकैसिया, माइक्रोक्रिस्टलाइन सेलुलोज व क्रॉसकार्मेलोस सोडियम जैसे इनग्रेडिएंट्स होते हैं। यह दवा कैंसर रहित ट्यूमर और सिस्ट के उपचार में भी उपयोगी है और रसौली को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


दिव्य वृद्धिवाधिका वटी

दिव्य वृद्धिवाधिका वटी में शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, कई प्रकार के भस्म, सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, हरड़, बहेड़ा और आंवला जैसे इंग्रेडिएंट्स पाए जाते हैं। ये सब मिलकर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। वृद्धिवधिका वटी आयुर्वेद में उपयोग होने वाली एक हर्बल मिनरल फॉर्मूलेशन है। आयुर्वेद के अनुसार, यह प्रमुख रूप से वात दोष पर काम करती है। वात दोष के बढ़ने से हर्निया और हाइड्रोसील का अधिक विकास होने की आशंका रहती है। यह रसौली को जड़ से समाप्त करने वाली एक महत्वपूर्ण औषधि है, जो टैबलेट में उपलब्ध है।


दिव्य कचनार गुग्गुल

रसौली की बीमारी के लिए निर्मित पतंजलि के इस दवा में कचनार छाल, त्रिफला, त्रिकटु, वरुण छाल, छोटी इलायची, दालचीनी, तेज पत्र और गुग्गुल इस औषधि के मुख्य इंग्रेडिएंट्स हैं। कचनार की छाल को रसौली के इलाज में एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में स्थान प्राप्त है। कचनार गुग्गुल नैचुरल ड्यूरेटिक गुणों के साथ जड़ी बूटियों और पौधों के एक्सट्रैक्ट से बनता है। किडनी स्टोन में हानिकारक मिनरल के जमाव को बाहर निकालने के लिए खून को शुद्ध करने का काम करता है।

इसके साथ ही यह सूक्ष्म जीवों को समाप्त करता है, जिनके कारण से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और डिस्कंफर्ट की समस्या उत्पन्न होती है। यह महिलाओं के प्रजनन अंगों पर सूदिंग इफेक्ट भी डालता है। इसे एक्सट्रैक्शन की कठिन प्रक्रिया के जरिए कॉम्प्लेक्स तरीके से फार्मूलेट किया जाता है। इन गुणों के कारण से दिव्य कचनार गुग्गुल को रसौली की महत्वपूर्ण औषधि माना गया है।


दिव्य प्रवाल पिष्टी

शुद्ध प्रवाल तथा गुलाब इस औषधि के इंग्रेडिएंट्स हैं। इस औषधि का उपयोग शिथिलता और एसिडिटी के साथ ही खांसी और बुखार की स्थिति में किया जाता है। रसौली की बीमारी में विभिन्न जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर इसका सेवन करने से रसौली में लाभ मिलता है। वास्तव में यह एक भस्म है, जिसको सदियों पुराने सूत्रों से निर्माण किया जाता है और यह बीमारियों को जड़ से समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


दिव्य शिला सिंदूर

दिव्य शिला सिंदूर के प्रति 1 ग्राम में शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक की कजली के साथ शुद्ध मनशील का पाउडर और ग्वारपाठा का लिक्विड रहता है। दिव्य शिला सिंदूर का उपयोग भी रसौली की स्थिति में अन्य जड़ी बूटियों के साथ किए जाने से लाभ मिलता है। यह क्रॉनिक और परेशान कर देने वाली बीमारियों में तुरंत परिणाम देता है।

दिव्य ताम्र भस्म

यह शुद्ध ताम्र अर्थात तांबे का पाउडर है। यह ट्यूमर के साथ ही किसी भी प्रकार के ग्लैंड और पेट से संबंधित बीमारियों में लाभकारी पाया गया है। इस भस्म की विशेष बात यह है कि इसके सेवन से रोगी पर किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता है, अपितु यह किसी भी पुराने या कॉम्प्लेक्स बीमारी को ठीक करने में कारगर है।


पतंजलि आंवला जूस

इसमें शुद्ध आंवला का रस होता है, जिसमें विटामिन-सी की मात्रा प्रचुर तौर पर उपलब्ध होती है। रसौली के समय होने वाली हेवी ब्लीडिंग में यह एक महत्वपूर्ण औषधि है और आयरन की कमी को पूरा करती है। साथ ही यह रसौली के विकास को भी कम करने में लाभदायक है।

रसौली की बीमारी में पतंजलि की दवाइयां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लेख में बताई गईं इन दवाइयों की सहायता से रसौली की समस्या को जड़ से समाप्त करने में सहायता मिलती है। साथ ही ध्यान रहे कि किसी भी दवा का उपयोग करने से पूर्व डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए, क्योंकि यह आवश्यक नहीं कि पतंजलि की दवाइयां सब पर एक जैसा प्रभाव दिखाएं।

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